Tuesday, September 27, 2011

~~~ ~~~~~ मै और मेरी शायरी ~~~~~ ~~~

पास नही रहते हो तुम जिस पल
लगता है गुजर गये कितने जमानें
दिल वही सुकून पाने के लिये फिर
तलाशता रहता है कैसे कैसे बहाने

मिलते हो जो रात की तनहाई मे
खुश हो के दिल लगता है इतरानें
अब आबाद करो या करो बरबाद
रख दिया खुद को रुख-ए-निशाने

मान भी लो बात अपने दिल की
ना जाओ इन शोलों को सुलगानें
जल जाओगे तडप की इस आग मे
देखना ना आएगा कोई फिर बचाने

कांटे भी फूल से लगने लगे है
तारे भी मेरे साथ जगने लगे है
कैसी मस्ती है छाई दिल-ओ-जान पे
प्यार के शोले यों सुलगने लगे है

होश है संभाला हम ने आज चोट से उभर के
सीख ही लिया जीना बिना किसी हमसफर के
नये अझमत से चल रहे है अब उन गलियों मे
जिन मे कभी घुमा करते थे हम डर डर के

मनाया हम ने इस दिल को, मगर
इन धडकनों से मजबूर हो गये
निन्दें हमारी हो गई दुशवार
तेरे खयालो मे चूर हो गये

साथ जो मिल गया तुम्हारा
सारे गमों से हम दूर हो गये
तेरे चर्चे तो लाखों मे थे ही
हम भी अब मशहूर हो गये

दिल ये तुम्हारा हँसाता है कभी और कभी रोता है क्या ?
सुनहरे रात मे जागता और भरे दिन मे ये सोता है क्या ?
तनहाई मे आह भरता है और महफिल मे खोता है क्या ?
ये प्यार ही है जानम, अब आगे आगे देखो होता है क्या !

नयी है ये दोस्ती, नया है ये हमसफर
नया है ये जसबा और नयी है ये डगर
किस अनजाने मोड पे मिल जाए कोई
किसी को क्या पता, किसी को क्या खबर

दिल की बात ना सुन ऐ मेरे हमसफर
दिमाग को फिर शायद पछताना पड़ेंगा
ये तो भाग जाएगा दो नैना मिला के
हाल-ए-दिल जबान को ही जताना पड़ेंगा

मजा आने लगेंगा इतना इस बिमारी मे
पागलपन मे खुद को सताना पड़ेंगा
गर लग जाए बेवफाई का एक दाग
खून के कतरे से उसे हटाना पड़ेंगा

मिले थे हसिन लम्हे जितने मुलाकात के
किश्तों किश्तों मे उन्हें लौटाना पड़ेंगा
लूट जाओगे मुहब्बत के चक्कर मे, फिर
किस्मत के दरवाजों को खटखटाना पड़ेंगा

बुलाया करेंगे कई लोग दीवाना तुम्हें
हर गली से रोज एक नया ताना पड़ेंगा
इतना सताएगा ये जमाना तुम्हें, के
अकेले मे भी फिर झटपटाना पड़ेंगा

खुशी मेरे दिल की महसूस करना है अगर
आना होगा तुम्हें ख्वाब-ओ-खयालों मे मेरे
तुम्हारे ही आने से आई है जिन्दगी मे बहार
खोया रहता हूं अब मै बस सवालों मे मेरे

दिल ये चाहे, के सारे दुनिया से दूर जा के
अब जिन्दगी की राहगुजर हो महलों मे तेरे
आखिर क्या है जीना अब समझ मे है आया
जन्नत की खुशियॉ जो है पाई पहलू मे तेरे

चोट खा ली पहले ही मुहब्बत मे इतनी
के, जुर्रत नही ये खता करने की दोबारा
जान ली एक पल मे हम ने हैसियत अपनी
लगा सदमा दिल को कुछ ऐसा करारा

जन्नत की खुशियॉ तो नही मांगी थी
मांगा था हम ने बस एक साथ तुम्हारा
अपने ही मुकद्दर को कोस रहे है अब
बिना लकीरों के बन गया नसीब हमारा

लढते थे नैन जिससे कभी महफिल मे
तरस गये है पाने को उसका एक इशारा
पिलाया था कभी जिसने जाम अपनी आखों से
उस जालिम ने ही आज ये नशा है उतारा

बैठे रहे उसकी याद मे एक आस लिये
ना आए पास हमारे, ना ही हमे पुकारा
हालत बना गए कुछ ऐसी इस आशिक की
कहने लगी है दुनिया इसे अब बेचारा

हुआ करती थी कभी रातें जिसकी जवां
आज फैला है दिन मे भी कैसा अंधियारा
चलते थे जो कभी हमराह बनके हम
आज मिलता हुं मै उन गलियों मे मारा मारा

हम जीना चाहते है बनके जिनका हमसफर
आज कल करते वो बाते खुद-खुशी करने की
लाख उठाए सवाल ये दुनिया हमारे रिश्ते पे
साथ होगे हम मगर, बात नही ये डरने की

वक़्त आ गया है अब कुछ कर दिखाने का
घडी नहि है ये जानम ठंडी आहें भरने की
होगा ना मुझसे बुरा कोई, समझ लो आज
फिर सुनी बात अगर मारने और मरने की

हम ही से शरमाना और हम ही से परदा
हम ही से घबराना, हम ही से शिकायत
ये सब है निशानियाँ प्यार के इकरार की
आप ही का शुक्रिया, आप ही की इनायत

हम ही से ईतराना, हम ही से दिल्लगी
हम ही से बिछडना, हम ही से हिदायत
सम्भाल सको तो कोशिश कर के देख लो
प्यार ही है ईबादत, प्यार ही है निहायत

किसी की याद मे ये दिल जब बेकरार होता है
इन्तजार का हर लम्हा जब मजेदार होता है
दिल तो वैसे भी धडकता है जीने के खातिर
मरने को जब वो तडपे, तब ही प्यार होता है

रंगीन सपनों से बाहार आओ
सामना करो तुम हकिकत से
आज मे जीना सीख लो यार
ख्वाब देखना कभी फुरसत से


ढलते सूरज की पनाह मे चिराग जलाया उसने
डूबते माज़ी को तिनके के सहारे बुलाया उसने
हम तो कब के भूल गये थे उनके घर का पता
हमारे ही गली मे आ के हमें फिर रुलाया उसने

लहू लोहान करने के इरादे था तीर चलाया उसने
अपने हुस्न का जहर मेरे ज़िस्म मे फैलाया उसने
छोड चुके थे उम्मीद उनको हमसफर बनाने की
बेवफाई का इलज़ाम दे के कब्र मे है सुलाया उसने

बंजर गुलिस्तां मे एहसास का बीज बोया उसने
परवरिश से एक बाग़बान का फ़र्ज़ निभाया उसने
हम तरसते रहे उनका एक करम पाने के इरादे
पहले मुलाकात मे ही कर दिया हमें पराया उसने

दूर से ही देख के अंजाने मे हमें अपनाया उसने
हुस्न के शोले से सख्त बरफ को पिघलाया उसने
हम खोए ही रह गये दिन रात उनके खयालों मे
जाने किस घडी मे हम से उठा लिया साया उसने

सोए अरमानों को एक ही इशारे से जगाया उसने
गर्द पडे रूह को चाहत के दीदार मे नहलाया उसने
फिर जरूर बरसेगा वो प्यार, फिर आएगी वो बहार
यहीं कहके फिर आज मेरे दिल को मनाया उसने

सुलझे हुए शक्स को जाल मे अपने उलझाया उसने
जाम पिला पिला के है बेहोशी तक बहकाया उसने
जो डूब गया था कभी उनकी बाहों की आहोश मे
एक बून्द पानी के लिये है आज उसे तरसाया उसने

मेरे खामोश चलती जिन्दगी मे तूफान लाया उसने
ना जाने जन्नत के किस खुशी को है पाया उसने
हम ने तो जीना सीख लिया अब अपनी तनहाई मे
नही जानती वो मगर, आज किसे है खोया उसने


रूदाद ये मेरे दिल की लब्जों मे होगी ना कभी बयां
हिज्र की उन लम्बी रातों का कही ना होगा कोई निशां
तेरे महफिल से निकले थे हम ना-उम्मीद हो के कभी
फिक्र करनी है हमें बस महशर की, भूल के सारा जहां

अकेली रातें तेरी याद मे मर मिटने को बेकरार है
दिन भी तेरी उम्मीद मे गुजर जाने को तैयार है
ऐसी प्यास लगी है जालिम, दिल मे तेरे चाहत की
मिटेगी तेरे आने से, जो बरसात को भी दुशवार है

इस दुनिया की भरी महफिल मे, दिलवाले हजार है
तनहाई मे हर शक्स, लेकिन आज यहां बेजार है
मिलता नही है मुकम्मल हमसफर सभी को यहां
बस कहने के लिये ही ये दिलवालों का बाजार है

हँसी पे मत जाओ, मेरे घावों मे अब भी उभार है
ये हंसना तो बस, दर्द छिपाने का एक औजार है
दफन हो जाउंगा यों ही एक दिन, तो लोग कहेंगे
देख लो, एक और मस्तानें आशिक़ ये माजार है

टूट गया कब बन्धन दिल का--छूट चूकी उन रिश्तों की डोरी
इश्क़ ये मेरा फिर भी जिन्दा है-- प्यार की शाखें बाकी है थोडी
दिल मे उनके, घर बसाने का--सपना दिल ने पाला था कभी
आस लगाए बैठे है अब भी--उम्मीद ये हम ने नही है छोडी

पहले नजर का प्यार भुला के--भूल गई जालिम वो सीना-जोरी
साथ पे जिन के नाज़ था हमें--गांठ बन्धन की वही है तोडी
दिल ये अब उदास सा रहता है--रह रह के दुख ये सहता है
चलते थे जो कभी हाथ पकड--
राह उन्होनें आज अपनी है मोडी

हंसीनाएं लाख दिखाए चाहे जलवें
उन्हें देखने का हमें कोई शौक नही
फूलों की खुशबू नही हम मे, मगर
काटों को मुरझाने का खौफ नही

कभी जो बुलाया करते थे हमें अपना
आज कल बदलने लगे है उनके तेवर
बेशर्म हो के मिलते है वो दुश्मनों से
बेरहमी का पहना है ये कोई नया जेवर


होने लगा है जिक्र गली-गली और कूँचे मे
कबूल किया जो आप ने नजरना हमारा
बनाया है आशिक़ तुम ने, कहना है सब का
क्या करे जब, अन्दाज है शायराना हमारा

बाते तुमसे होती ही है रोज मगर
मिलने का ईत्मिनान उसमें कहा
देखना है तुम्हें अब आंखें भर के
जुदाई का दर्द मैने काफी है सहा

उठा है धुआं जब, लगी है जरूर कहीं तो आग
दामन जो छुपा रहे हो, लगा है कहीं कोई दाग
अब तो बढ चुका है ये दर्द-ए-दिल हद से आगे
तडप ही है किस्मत शायद, तडपना ही है भाग

पीना मेरा कोई शौक नही, पीना मेरी मजबूरी है
तुम दिल के पास हो, फिर भी कितनी दूरी है
समझौता ही है ये, सच्चाई से दूर भागना नही
जान लो बस इतना, जिन्दगी तुम बीन अधूरी है

जानता हूं पर मानता नही, आदत ये बडी बुरी है
मेरा नशे मे रहना, गम भुलाने के लिये जरूरी है
कयामत से पहले ना सही, जन्नत मे मिलेंगे जरूर
इमान ना समझो इसे यारो, ये हमारी मगरूरी है

बन्द दरवाजे मे पी या पी तू मयखाने मे
पी मगर ऐसी जगह जहां ना हो कोई शोर
यहॉ खुशी मे तो पी लेते है सभी, मगर
गम मे पीने का है यार मजा ही कुछ और

आना तेरा जिन्दगी मे जैसे एक हादसा था
मर भी ना पाए, सँभल भी ना पाए हम
शुक्रिया अदा करे कब उस बनाने वाले का
अभी तक तो भर ही रहें है बस आहें हम

दिल से निकली हर सदा बढ रही है तुम्हारे और
सांसों मे मची है हलचल, मचा है नया शोर
खुद को तो रोक लूँ धडकनों को कैसे रोकू मगर
चाहत है ये कुछ नई, तनहाई का है नया दौर

लिखता हूं मै जो, होता है वो तुम्हारा ही कलाम
धडकनों की आहट भी करती है तुमको सलाम
सीने मे चलती सांस लेती है बस तुम्हारा ही नाम
एक ही चाहत है अब
इन बाहों कि पनाह मे कट जाए मेरी उम्र तमाम

आसमान मे बादल यों मँडराते रहे
पैरों के नीचे पनघट यों चलती रहे
सांस लेती रहे भिनी खुशबू बांहों मे
धीमी सी चिलमन भी यों ही जलती रहे

तुम छुपा रही हो कोई राज इस दिल मे
या फिर छुपा रही हो मुझसे कोई गम
अगर कहती हो कही कोई बात नही, तो
आंखें ये तुम्हारी इतनी क्यों है नम ?


आते है याद मुझे वो लम्हे पहली मुलाकात के
सितारे जब होते थे पहलू मे खामोश रात के
कहा करती थी दिल लगाना तुम्हारा काम नही
फिर जाने कैसे बने ये रिश्ते बिना जसबात के

बातों मे कशिश, आंखों मे सच्चाई
कत्ल कर चली गई उसकी एक अंगडाई
इतना ना प्यार करो कहता था उसे
किस तरह सहूँगा बताओ अब ये जुदाई


हर बार बिछडने की बात क्यों करते हो
हम वो है जो यारी दोस्ती भुलाते नही
आपकी शरारतों से मजा आता है जरूर
हम अपनी हरकतों से मगर रूलाते नही

धडकता था जो, ना जाने कहा वो गया है
क्या जानु मै, ये जागा है या सो गया है
है ये अपनी ही जगह, या कही खो गया है
अगर यहीं प्यार है, तो हां हमें हो गया है

तूफानों से होता है सामना
तूफानों से नही होती गुजारीश
हर कदम पे रास्ता रोकेगा ये
पुरानी है ज़माने मे ये रंजीष

हां, रोया हू मैं आज जी भर के
ज़हन मे जो उनकी याद आई
आती थी ख्वाबो मे रोज कभी
आज वो बडी मुद्दतो बाद आई

आंखों मे मेरे गम है कितना, नज़रें मिला के देखलो
धडकनो मे दर्द है कितना, महसूस कर के देखलो

चाहतो मे दम है कितना, कभी दिल लगा कर के देखलो
सुखा पडा है सीने मे कितना, भीगे बदन से देखलो

मिलने मे आखिर क्या मजा है, कभी बिछड के देखलो
हक़िकत मे कुछ नही है ज़ानम, सपने सजा के देखलो

यादों मे सुरूर है कितना, कभी याद कर के देखलो
गर ना आए निन्द तुमको तो, करवट बदल के देखलो

आंखों मे लगे काजल को फैलना चाहता हूं
उनके सुलझे लटों को उलझाना चाहता हूं
आंचल सीने से ढलने की तमन्ना है बस
दिल मे लगी आग सांसों से बुझाना चाहता हूं



औरों की तरह जिन्दगी जीने वालों मे से हम नही
दीवानों की भिड मे गुम होने वालों मे से हम नही
थाम लेगा हाथ जरूर कोई राह चलता मुसाफिर
जहां मे ईस मस्ताने आशिक़ के दीवाने कम नही

तनहाई की तडप हो या हो बे-खुदी का आलम
याद आते होंगे तुमको हम दिन के उजालों मे भी
भूला ना पाओगी जिन्दगी के वो मुकम्मल लम्हें
भूल ही जाओ गर मुकाम और पडाव बाकी सभी

लोग यहॉ जहर पी पी के मरते है
हमें उन्होनें जाम पिला पिला के मारा
हम गये थे जीतने की तमन्ना लिये
आंखों मे उनकी खुद को बैठ हारा

गर सुनाईं देती धडकनो की सदा, बांसुरी ना सुनता कोई
गर दिखाई देते खुली आंखों के सपने, नजारें ना देखता कोई
महसूस होती गर सासों की सिलवटें, मलमल ना जानता कोई
ना होते गर तुम साथ हमारे,
कहा पातें हम ये लट बिखरे बिखरे और ये नयन कजरारे

दिलवालों की महफील मे हुस्न और इश्क़ की हवा रहेगी
जमानें गुजर जाएगे, मगर मुहब्बत ये जवान रहेंगी
दिल मे जतन किये रखे है इस अनमोल रतन की चमक
सच्चे दिल से मांगी हर मन्नत पे उसकी दुआ रहेगी

रास्ते बढेंगे मंजिलों की तरफ
कारवाँ ये यों ही चलता रहेगा
उभर आना है तुम्हें हर मुकाम पे
सूरज तो फिर भी ढलता रहेगा


तुझे मेरी जरूरत है, तू हां कहे या ना कहे
मेरे बीन तू अकेली है, तू हां कहे या ना कहे
दुनिया से सही मगर खुद से क्या झूठ कहना
तेरे बीन मैं भी कुछ नही, तू हां कहे या ना कहे


कामयाबी मे तुम्हारे खुशी है हमारी
नाकामयाबी मे भी पर शरीक हम होंगे
सम्भाले रखना हमारे दोस्ती का नजराना
ऐसे रूमानी दोस्त दुनिया मे कम होंगे

निगाहों को अपनी पलकों से छिपाएँ रखना
इन कातिल निगाहों से हमें खतरा लगता है
रात - दिन कैसे गुजरते है पता नही चलता
बज़्म मे तेरी कई पल, बस एक कतरा लगता है

खो के पाना प्यार नही, ये तो समझौता है
बातें करता है जो ऐसी, वही प्यार को खोता है
करना है प्यार तो उम्मीद के साथ करो यारो
जिन्दगी मे ये कमबख्त बार बार नही होता है

जो शाम ढली फिर काली रात आई
जो दिल धडका फिर तेरी याद आई
आंखों ने महसूस किया उस हवा को
जो छू कर तुझे मेरे पास आई

जबसे वो हमारे दिल मे बसने लगे है
दोस्त हमारे इस हालत पे हंसने लगे है
ऐसी छाइ खुमारी नाचीज की इस दिल पे
उनके एक दिदार को हम तरसने लगे है


इस दिल की हालत को हम क्या कहे
कोई पागल कहे तो कोई दीवाना कहे
कोई इलाज नही इस बीमारी का दुनिया मे
जिन्दा है तब तक ये योहीं दर्द सहे

उनकी याद आती है आज कल कुछ ज्यादा
आंखें रहती है नम आज कल कुछ ज्यादा
आस लगाए बैठे है ईस उम्मीद मे, के
हमारी राह देखने का निभाएंगे वो वादा

दिदार तो दूर हम महसूस भी नही पाते है
क्या वो सुन पाएगी दिल से निकली हुई सदा
अगर निभाना चाहता है दोस्ती ऐ मेरे दोस्त
तो कर दे दोनो के बीच के दूरियों को आधा

वो हमारी नज़म हम से ज्यादा याद कर रहे है
उन्हें क्या पता हम यहा जित-ए-जी मर रहे है
खत्म हो जाए ये लम्बा सफ़र इस परदेस मे जल्दी
दिन रात रह रह के हम यहीं दुआ कर रहे है

दिन कटता है ऐसे, जैसे एहसान उतरता है कोइ
शाम को घर जाके आइना देखुं तो लगता है
इस अनजान से शहर मे
हमें भी जानता है कोई

हमें देख के उनका चेहरा खिल जाता है
पास आके हमारे उनका बदन हिल जाता है
कोई उन्हें ये बताए के दूर ना जाए हमसे
वो अकेली नही जाती साथ हमारा दिल जाता है

नशा उनके होंठों का किसी शराब मे कहा
गहराई उनके आंखों की बादलों मे कहा
देखो यारों उनको कभी मेरी नजर से
पता चलेगा तुम्हें, मै खोया रहता हूं कहा


उनके आने से ज़िंदगी मे रौनक आ जाए
मेरे उजडे गुलिस्तां मे महक सी छा जाए
कोई उनको बताए, वो हमारे लिये क्या है
उनके बिना क्या जीना, अच्छा है मौत आ जाए

इश्क़ है भगवान इश्क़ हि है बन्दगी
एक पल का पागलपन, एक पल की दीवानगी
ये बस काम है उन जिन्दा मुर्दो का
बिना इश्क़ के जहन्नूम है ज़िंदगी

वाकया कुछ ऐसा था के हम दिल दे बैठे
हालत कुछ यों थे के हम प्यार कर बैठे
तुम्हारा आना ज़िंदगी मे एक तूफान था
पहले नजर मे ही आपको यार कर बैठे

भावनाओं को अपने, काबू मे रखना सिखो
इतना मचलने दोगे उसे तो मुश्किल मे आओगे
वह तो एक मतवाली और चंचल हंसीना है
वही दिल मे बस गई तो फिर कहा जाओगे

शराब मे दिखता है चेहरा तुम्हारा
क्या ये नशा इस मतभरे जाम क है,
दिल कहता है सम्भल जा ऐ दीवाने
ये नशा तो उस साकी के नाम का है!

बिछडे है आज तक कई दोस्त मेरे
उम्मीद है तुम तो साथ निभाओगी
निकलेगी इस दिल से जबभी कोई आह
तुम बिना बुलाए पास चली आओगी

सांसे मेरी कुछ थम सी गई है
धडकनो पे भी लग गया है ताला
दबाए रखा था जो दर्द ईस दिल मे
उमड कर आ रहा है बनके ज्वाला

तुम्हें देखके यों हो गई है ये हालत
के अब खुद पे आने लगा है तरस
बूंद बूंद को ना तरसा मुझको साजन
सावन की बिजली बन के यों ना बरस
मेरा पागलपन तुम्हारे हुस्न की देन है
जो भले भलों के उडा सकती है होश
हमें कोई शिकवा नही तुम्हारे इरादों पे
इस खूबसूरती मे आखिर तुम्हारा क्या दोष

जाने-जाना इतने भी बेरहम ना बनो
की हमें हिचकियां आना बन्द हो जाए
याद हमे थोडा दिल से किया करो
जाने माशूक की कब मौत आ जाए

आपका दीदार ना हुआ तो कोई बात नही
ख्वाबो मे आपका आना ये क्या कम है
छोटी छोटी बातों से क्या रूठना यारो
हमारे जिन्दगी और भी कइ गम है

ऐसे ना छुआ करो, बिजली सी दौडती है
देखा ना करो ऐसे, दर्द सा लगता है
सुनाया ना करो अपनी मतभरी आवाज
इतने करीब ना आओ, प्यार हो सकता है

मुस्कुराना तुम्हारा होंठों पे सजा के लाया हूं
चेहरा तुम्हारा आंखों मे छुपा के लाया हूं
तुम मेरी हो, तुम्हें बस ये बता नही पाया हूं
तुम लाख इन्कार करो, मै तो तुम्हारा साया हूं

कभी जिन्दगी के पन्नों को उलट के देखना
आपको एक शक्स जरूर दिल से याद आएगा
भूल जाओगे तुम जमाने के दिये सारे गम
जब हमारा साथ गुजारा एक एक पल आएगा

बस अब हमें और कुछ और नही चाहिये
हमारे पास खुद आ बैठी है जन्नत
खुदा दिलदार है कितना, चला है पता आज
मिले है वो हमें बिना मांगे मन्नत

क्यों हर बार उभर आते है वो बिते पल
जिन्हे हादसा समझ कर चहता है भुलाना
गुजारीश है उस जालिम से तह-ए-दिल से
छोड दो अब मुद्दत के बाद यों रुलाना

उनके बारे मे हम सोचने लगे है
खुशियॉ के पल दबोचने लगे है
अपनोसे जरा हम बचने लगे है
दीवानगी मे शेर रचने लगे है

उस दिन से रातों की नींद उड गई है
जबसे कर बैठे है हम इजहार-ए-दिल
ऐ जालिम दिन मे मुश्किल है मिलना
तू कभी ख्वाबों मे आँके मिल

साया अपना वजुद लेकर नही घूमता
वो तो परछाई होती है किसी शक्स की
उसका भी अपना एक कीरदार होता है, पर
कोई नही समझता भावना उस अक्स की

देखके उसको लगा, आई जन्नत की परी
ना जाने छा गई दिलपे, कैसी जादूगरी
रहती है वो सेहमी सी, और कुछ डरी
वही है मेरा कलाम, और मेरी शायरी


वो जालिम बस गया है दिल मे कुछ ऐसे, के
हम सांस भी नही लेते, और मरते भी नही
बदनाम हो गए है उनके प्यार मे इतने, के
अब गली-कूँचो से गुज़रने से भी डरते है

कहते है, ये प्यार घना जंगल है
तो कोई कहे, ये आग का दरिया है
हम कहते है, जन्नत ही जन्नत है
बस देखने का अपना अलग नजरीया है


जिसके आने की तमन्ना करते थे हम
वो परी परदे से निकल सामने आई है
अब मत हिचकिचाओ नजर मिलाने से
हूर-ए-जन्नत जो हाथ थामने आई है


धडकनों मे उनकी, आज मै घुल जाना चाहता हूं
सांसों की गहराइ मे खुद को भूल चाहता हूं
आंखों की सच्चाई मे, पापो से धूल जाना चाहता हूं
सब गम भूला कर, खुशियों से फूल चाहता हूं

दिन किसी तरह से कट जाता है, रातें मगर कांटे कटती नही
क्या जाने चलता रहता है इस दिल-ओ-दिमाग मे किस का खयाल
बदलते है करवटे बिस्तर पे पडे पडे तेरी याद मे, की
चादर परेशान हो कर, अब पूछने लगी है मुझसे सवाल

जो कर गुजरे है मुहब्बत मे हम
बेगुनाह खुदको कह नही सकता
दिया है दिल का ऐसा हँसी दर्द तुमने
इस दर्द बिना जिन्दा रह नही सकता

उम्मीदो के गुलिस्तां मे, खुशहाली का चिराग लिये घुम रहे है
उनकी एक झलक की तमन्ना मे, दिदार के ख्वाब चूम रहे है
नही पता था हमें, जुदाइ के बाद आएगी जालिम की इतनी याद
साकी ना आई प्यास बुझाने तो, होंठों पे शराब लिये झूम रहे है

मुकद्दर से मिले थे हम इन गलियों मे
मुकद्दर से ही लढी थी आंखें दो अनजान
मुकद्दर ही मिलाएगा फिर दो दिलों को
मुकद्दर ही वरना लेगा दोनो की जान


अब तक तेरी याद मे आंखें रो रही थी
फिलहाल दिल भी घुट घुट के रो रहा है
तडप इस दिल की तुमसे बेहतर कौन जाने
जो हर पल पुरानी यादे संजो रहा है

तुम बस एक पल साथ निभाने की बात करते हो
हम तो सारी जिन्दगी साथ निभाना सोच रहे थे
लगेंगा तुम को भी कुछ ऐसा, याद करोगे जब
किस तरह रसीले होंठों को तुम दबोच रहे थे

किसी की चाहत पे जीने वाले तुम न थे
और किसी पे मर मिटने वाले तुम न थे
आदत सी पड जाएगी तुम्हें याद करने की
वरना किसी को याद करने वाले तुम न थे

आँती है तडप मेरे दिल के तैखाने से
जब बिना उम्मीद आता है उनका होई पैगाम
मिलते नही वो, तो याद ही कर लेते है
सोच के, कि होगा जुदाई का हंसीन अंजाम

कल जब हुइ मेरि बात तुम से, तो लगा
जरूर छुपा रही हो, दिल मे कोइ दर्द
बताओगी तो, होग कुछ कम एहसास
आंखें मेरी भी होगी जब साथ मे सर्द

आइ तुम तूफ़ान की तरह, मेरी रुकी हुइ जिन्दगी मे
किया प्यार तुमने मुझे और मैने तुम्हे रात दिन
शायद भुल जाओगी तुम जिन्दगी की बाकी सारी रातें
पर नहिं भुला पाओगी साथ बिताए हुए वो सात दिन

ये शेर दिल कि बातों का नजराना होते है
जो हाल-ए-दिल लब्जों मे बयान करते है
लिख लेते है हम कुछ, जज़बात मे बेहके
जब लोग मेरे शेरों पे वाह वाह करते है


दिल ये मेरा किया है तुम्हारे हवाले
इसे सम्भाल के रखना ऐ मेरे हुजूर
चाहेंगे तुम्हें इस कदर जान-ए-जाना
हश्र फ़ीर जो भी हो हमें होगा मन्जूर

याद करो तो ऐसे करो, की यार आने पे मजबूर हो जाए
प्यार करो तो ऐसे करो, की यार जताने पे मजबूर हो जाए
लिखो तो ऐसे लिखो, हर शब्द गाने पे मजबूर हो जाए
और रूठो तो ऐसे रूठो, यार मनाने पे मजबूर हो जाए

आती नही आंखों मे निन्द, तुम्हारा नाम लिये बिना
होता नही दिन, बिना तेरे खयाल के, इस दीवाने का
अब जीना मरना मेरा, बस तेरे खातिर है, क्यूंकी
होता नही कोइ वजूद, शमा बिना किसी परवाने का

आज कुछ शेर-ओ-शायरी नही आ रही है जहन में
सोचता हु, हाल-ए-दिल ही बयान कर दिया जाए
है खूबसूरत, जो बस गई है दिल की डोली मे
जिसके बिना अब, ना मरा जाए और ना जिया जाए


कौन कहता है दिल जो प्यार करे वो दिवाना नही होता
रात रात जाग किसिका इन्तजार करे वो दीवाना नही होता
इस जहां मे इन्सानियत के और भी कइ उसूल है, मगर
प्यार का जसबा ना होता, तो शायद ये जमाना नही होता

रिश्तों कि बात छेडी है, तो ये भी सुन लो
हम रिश्तों को भुलाने वालों मे से नही
हमारे प्यार का दामन छुडा ना पाओगे
फिर लौट कर तुम्हें वापस आना है यहीं

नही आएगी उनकी याद, ये दिल क वहम है
उनकी याद में आज कल तबीयत कुछ नम है
भुलाना उनको मुश्किल ही नही नामुमकिन है
दिल से करते है याद उन्हें, ये क्या कम है


प्यार की चाहत में कइ लोग पुराने दोस्त भूल जाते है
मुहब्बत के मचधार मे पुराने साहिल भूल जाते है
हम मगर याद रखेंगे हर वो मदहोशी भरी रातें
वो छलकते जाम, दहकते अंगारें और वो बेहकती बातें


याद आती है अब उनकी दिन की रुसवाइयों में
और आती है उनकी याद रात कि तनहाइयों में
आंखें बन्द कर देख लेता हूं वो हसीन चेहरा
तसवीर जो छुपा रखी है दिल कि गहराइयों में

सातों आसमान या सातों समन्दर खोज के देखलो
टिमटिमाते तारे और चमकते मोतियों से पुछलो
एक हि जवाब मिलेगा जब चलेगी बात उस दिलबर की
फ़िर मेरे हुस्न की मलिका कि वाह वाह होते देखलो

अमावस की काली है निगाहों मे मेरे यार की
गुलाबों की लाली है होंठों मे मेरे यार की

जुगनू की चमक है आंखों मे मेरे यार की
कस्तूरी की महक है बांहों मे मेरे यार की

रेशम की कोमलता है बालों मे मेरे यार की
अब्र की मलमलता है गालों मे मेरे यार की

कोयल की मिठास है बातों मे मेरे यार की
मिलने की प्यास है रातों मे मेरे यार की

लैला मजनु की तरह क्या प्यार करना
प्यार करना है तो करो जरा इमान से
जमाने को दिखाके क्या खाक करोगे
जब हाथ धो बैठोगे दिल-ओ-जान से

मै कश्ती मे होके सवार सम्न्दर से लढना जानता हू
लेहरो को चीर कर मन्ज़िल के तरफ़ बढना जानता हू
बेहती हवाओ की खुशबू भी देगी गवाही इस बात की
मै अपनी बाजु मे बेहते लहू कि ताकत को मानता हू


दूर आसमां के उस पार कोइ जाहां जरूर होगा
जिसे दिल ढुंड राहा है क्या जाने वो काहा होगा
मेरे चेहरे की मुस्कुराहट पे मत जाओ यारो
शायद ही दुनिया मे इतना दर्द किसिने सहा होगा

साथ गुजारे पल याद कर हस लेना
पर कभी मेरी याद आये तो रोना नही
लम्हे तो खैर आते और जाते रहेंगे
उन पलो की याद को मगर खोना नही

आज देखली हमने दोस्तो की दोस्ती
और देखली दुनिया की दुनीयादारी
उतर गया नशा गलत वहमी का
उड गयी एक पल मे सारी खुमारी

दुनिया की इस भरी महफ़िल मे
सोचते थे अकेले तो नही है हम
पता चला बस एक वही है हमसफ़र
जिसे केहता हु मै “मेरि शायरी”

लिखे थे जो शेर तेरी याद मे, खुद वही मुझसे पुछ बैठे आज
रोज लिखते हो आज कया हो गया, न कोइ नज़्म न कोइ साज़
मै बोला, दिल मे मेरे अब न कोइ तडप, न जलन, न कोइ राज
जुदा हुए वो

जिनके लिये होते थे कागज़ निले, प्यार पे जिनके था हमे नाज

जाम गर झुटा हो, तो होता है नशा और भी
साकी के होंठों की मिठास उसमे मिलती है
अकेले जलना भी क्या जलना, मज़ा तो तब है

जब शम्मा भी परवाने के साथ जलती है


ज़िन्दगी इम्तिहान का दूसरा नाम है
कभी हार कभी जीत इसके दो रंग है
ज़िन्दगी से गीला शिकवा क्या करना
तुझ जैसा दोस्त हर घडी अगर संग है


तपते दिन के बाद सुनहरी रात जरूर होगी
चान्द सितारो के साथ तुम्हरी बात जरूर होगी
कभी दिल की आवाज से पुकारो तुम किसी दोस्त को
अपने दोस्ती की कसम, फ़िर मुलाकात जरूर होगी

गुजारते है दिन याद करके वो नूरानी रातें
संजोते है वो घड़िया और वो पुरानी बातें
मेरे इन्तजार का हर गम भूल जाओगि तुम

सितारे गवाह है, होंगी फिर रूमानी मुलाकातें


पहले नजर के प्यार को हम क्यों माने
ये नजर अक्सर खा जाती है धोका
उनसे नजर जो मिली भिगी सी रात मे

दिल को गुम होने से पर नज़रोंने ना रोका
कातिल है जो उनकी निगाहें
कत्ल करना उनका पेशा है
कभी हमें भी मार डालो जाना
ये बन्दा हाजिर हमेशा है




∂ιηєѕн кυмαя мєєηα



































































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