Saturday, September 24, 2011

शेर और शायरी

मत इंतज़ार कराओ हमे इतना
कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
क्या पता कल तुम लौटकर आओ
और हम खामोश हो जाएँ

तुमसे दूर जाने का इरादा ना था
सदा साथ रहने का भी वादा ना था
तुम याद ना करोगे ये जानते थे हम
पर इतना जल्दी भूल जाओगे
यह अंदाज़ा ना था

दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए

मयखाने में जाम टूट जाता है
इश्क में दिल टूट जाता है
ना जाने क्या रिश्ता है दोनो में
जाम टूटे तो इश्क याद आता है
दिल टूटे तो जाम याद आता है

यह चांद भी अजीब सितम ढहाता है
यह चांद भी अजीब सितम ढहाता है
बचपन में मामा और ज़वानी में
सनम नज़र आता है

याद हम भी अपको करते है
याद आप भी हमे करते है
फर्क इतना है हम याद आने पर SMS करते है
और आप SMS आने पर याद करते है

रब से आपकी ख़ुशी माँगते है
दुआओं में आपकी हंसी मांगते है
सोचते है क्या मांगे आपसे
चलो आपसे आपकी उम्र भर की दोस्ती मांगते है

तेरी राहों में कब से पलके बिछाये बैठे हैं,
दिल के तुफान में मोहब्बत कि शमा जलाये बैठे हैं,
- ज़ालिम किस मोड़ पे ला कर छोड़ा हैं तुमने हमे,
आज भी मिलने कि हसरत से तेरी याद को सीने से लगाए बैठे हैं.

जिन्दगी कि राहों में ऐसे मोड भी आते हैं
बहार के साथ-साथ यहाँ पत्झड़ भी आते हैं,
कौन उम्र भर किसी को याद रखता है
वक़्त के साथ तो पत्थर भी बदल जाते है......

चेहरे पे मुस्कान छा जाती है..
आंखों मॆं सुरूर आया जाता है,
जब आप मुझे अपना कहते हो
अपने पे हमे घुरूर जाता है

सफ़र में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो,
सभी हैं भीड़ में तुम भी आगे निकल सको तो चलो.
राहें कहां किसी के लिए बदलती हैं,
तुम अपने आप को अगर बदल सको तो चलो.......

दिल को आता है जब भी ख्याल उनका,
तस्वीर से पूछते है फिर हाल उनका,
वो कभी हमसे पूछा करते थे "जुदाई" क्या है,
आज समझ आया है सवाल उनका.......

एक ज़रा सी भूल खता बन गयी
मेरी वफ़ा ही मेरी सज़ा बन गयी
दिल लिया और खेल कर तोड दिया
हमारी जान गयी और उन कि अदा बन गयी

मिल जाये कोई नया तो हमें ना भुला देना
कोई रुलाये तुम्हें तो हमें याद कर लेना
दोस्त रहेंगे उम्र भर तुम्हारे
तुम ख़ुशी ना सही गम ही बाँट लेना

पूरब देखा तो धूप है सुनहरा,
पश्चिम देखा तो बादल है गहरा,
अनजान हसरतों का माहौल है सारा,
जैसे दिल मे छुपा हो कोई जज्बात प्यारा प्यारा.

चेहरे पे बनावट का गुस्सा,
आंखों से छलकता प्यार भी है,
इस शौक--अदा को क्या कहिये,
इनकार भी है और इकरार भी है

मस्त निगाहों से देख लेना था,
अगर तमन्ना थी आजमाने की,
हम तो बेहोश यूंही हो जाते,
क्या ज़रूरत थी मुस्कुराने की

याद करोगे कभी दोस्ती के इस ज़माने को ,
जब हम चले जायेंगे कभी लौटकर आने को
जब कभी नाम आएगा हमारा महफिल में,
तुम छिपकर चले जाओगे कहीं आंसू बहाने को

सपने टूट जाते है अपने रूठ जाते है,
ज़िंदगी में जाने कैसे-कैसे मोड़ आते है
मगर साथ हो आप जैसे दोस्त का,
तो राहों के फूल भी कांटे बन जाते है

वो बात क्या करूं जिसकी खबर ही हो ,
वो दुआ क्या करूं जिसमे असर ही हो
कैसे कह दूं तुझे लग जाये मेरी सारी उमर,
क्या पता अगले पल मेरी उमर हो की हो

सागर में जितना पानी है
वो गागर में भर नही सकते
दिल में जितना प्यार है
वो SMS में लिख नही सकते

इश्क के सहारे जिया नही करते
गम के प्यालों को पिया नही करते
कुछ नवाब दोस्त है हमारे
जिनको परेशान ना करो
तो वो याद भी नही किया करते

तुम मिलो कोई गम नही
बस बात करो ..... ये मिलने से कम नही
दोस्ती में धोका दे जाये वो हम नही
और हमारी दोस्ती "बंटी और बबली"से कम नही

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