Sunday, September 25, 2011

यूँ निभाई दोस्ती कुछ गैरों ने अपना बनाके!!

ग़म को सीने में छुपाना छोड़ दिया,
हमने दर्द में मुस्कुराना छोड़ दिया,

यूँ निभाई दोस्ती कुछ गैरों ने अपना बनाके,
हमने और नए दोस्त बनाना छोड़ दिया,

इंतेजार की मियाद जब इंतेहा लाँघ गई,
हमने उम्मीदों से दिल बहलाना छोड़ दिया,

हर वादे को वो यूँ ही भुलाते रहे,
और हमने उनको याद दिलाना छोड़ दिया,

वो जब अनदेखा कर गुजरने लगे सामने से,
हमने उनसे नज़रें मिलाना छोड़ दिया,

यह सोच कर के कोई पूछ ले उदासी का सबब,
हमने महफिलों में आना जाना छोड़ दिया,

उम्मीद वफ़ा यूँ टूटी हर बार हमारी,
हमने किस्मत को आजमाना छोड़ दिया.....

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