Sunday, September 25, 2011

कई सदियों में आती है कोई सूरत हसीं इतनी!!!

कभी उनकी याद आती है कभी उनके ख्व़ाब आते हैं
मुझे सताने के सलीके तो उन्हें बेहिसाब आते हैं

कयामत देखनी हो गर चले जाना उस महफिल में
सुना है उस महफिल में वो बेनकाब आते हैं

कई सदियों में आती है कोई सूरत हसीं इतनी
हुस्न पर हर रोज कहां ऐसे श़बाब आते हैं

रौशनी के वास्ते तो उनका नूर ही काफी है
उनके दीदार को आफ़ताब और माहताब आते हैं

मछली जल की रानी है,
जीवन उसका पानी है।
हाथ लगाओ डर जायेगी
बाहर निकालो मर जायेगी।

पोशम्पा भाई पोशम्पा,
सौ रुपये की घडी चुराई।
अब तो जेल मे जाना पडेगा,
जेल की रोटी खानी पडेगी,
जेल का पानी पीना पडेगा।
थै थैयाप्पा थुश
मदारी बाबा खुश।

झूठ बोलना पाप है,
नदी किनारे सांप है।
काली माई आयेगी,
तुमको उठा ले जायेगी।

आज सोमवार है,
चूहे को बुखार है।
चूहा गया डाक्टर के पास,
डाक्टर ने लगायी सुई,
चूहा बोला उईईईईई।

आलू-कचालू बेटा कहा गये थे,
बन्दर की झोपडी मे सो रहे थे।
बन्दर ने लात मारी रो रहे थे,
मम्मी ने पैसे दिये हंस रहे थे।

तितली उडी, बस मे चढी।
सीट ना मिली,तो रोने लगी।।
driver बोला आजा मेरे पास,
तितली बोली " हट बदमाश "।

मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है
समझ पाई न दुनिया मस्लहत मंसूर की अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से
मेरी दीवानगी अपना ठिकाना ढूंढ लेती है

कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे

तू हर घड़ी, हर वक़्त
मेरे साथ रही है
हाँ यह जिस्म कभी दूर
कभी पास रहा है
जो भी गम हैं यह तेरे
उन्हें तू मेरा पता बता दे

कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे


मुझ को तो तेरे चेहरे पे
यह गम नही जंचता
जायज़ नही लगता मुझे गम से तेरा रिश्ता
सुन्न मेरी गुज़ारिश
इससे चेहरे से हटा दे


कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे
आंसू तेरे सराय
मेरी पलकों पे सजा दे

कुछ इस तरह तेरी पलकें
मेरी पलकों से मिल दे

आँख प्यासी है कोई मंजर दे
इस जज़ीरे को भी समंदर दे

अपना चेहरा तलाश करना है
गर नहीं आईना तो पत्थर दे

बंद कलियों को चाहिए शबनम
इन चिरागों में रोशनी भर दे

पत्थरों के सरों से कर्ज़ उतार
इस सदी को कोई पयंबर दे

कहकहों में गुज़र रही है हयात
अब किसी दिन उदास भी कर दे

फिर न कहना के खुदकुशी है गुनाह
आज फुरसत है फैसला कर दे।

कैसे लिखोगे मोहब्बत की किताब,
तुम तो करने लगे पल-पल का हिसाब
खुश्क पत्तो का मौसम लेकर ,
आग के शहर में रहते हो जनाब



इन्कार वो करते है इकरार लिए,
नफरत भी करते है तो प्यार लिए
उलटी ही चाल चलते है इश्क करने वाले,
आंखों को बंद करते है दीदार के लिए



जी करे तुम्हारा चेहरा मेरे हाथ में हो
यह एहसास क्यों करते नही हो
तुम्हारे पास ही हूँ जानम ,
यह कह कर मन बहलाते क्यों हो ?



मोहब्बत मुझे थी उनसे इतनी ,
उनकी यादों में दिल तड़पता रहा
मौत भी मेरी चाहत को रोक ना सकी ,
कब्र में भी दिल धड़कता रहा



हर दुआ कुबूल नही होती,
हर आरजू पुरी नही होती
जिनके दिल में आप जैसे चाहनेवाले रहते हो,
उनके लिए धड़कन भी जरुरी नही होती

हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिए वक़्त नही
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
जिन्दगी के लिए ही वक़्त नही

माँ कि लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नही
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक़्त नही

सारे नाम Mobile में हैं,
पर दोस्ती के लिए वक़्त नही
गैरों कि क्या बात करें,
जब अपनों के लिए ही वक़्त नही

आंखों में है नींद बड़ी,
पर सोने का वक़्त नही
दिल है ग़मों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक़्त नही

पैसों कि दौड़ में ऐसे दौड,
कि थकने का भी वक़्त नही
पराये एहसासों कि क्या कद्र करें,
जब अपने सपनो के लिए ही वक़्त नही

तू ही बता जिन्दगी,
इस जिन्दगी का क्या होगा,
कि हर पल मारने वालों को,
जीने के लिए भी वक़्त नही......

आज के दौर में दोस्त ये मंज़र क्यूँ है.
ज़ख्म हर सर पे हर हाथ में पत्थर क्यूँ है

जब हकीकत है कि हर ज़र्रे में तू रहता है
फिर ज़मीं पर कहीँ मस्जिद कहीँ मंदिर क्यूँ है

अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी
अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है

जिन्दगी जीने के काबिल ही नहीं अब दोस्त
वर्ना हर आंख में अश्कों का समंदर क्यूँ है

कुंवारी कन्या को miss कहते है,
उसके चुम्बुन को kiss कहते है.
Miss को kiss करना मुश्किल है,
इसलिये किशमिश के भाव तेज रहते है
आंख से गिरा आंसू कोई उठा नही सकता,
किस्मत में लिखा कोई मिटा नही सकता.
दोस्तो में बसती है जान हमारी,
हमारी जान को हमसे कोई चुरा नही सकता

रहने दे आसमां ज़मीन की तलाश कर,
सब कुछ यहीं है ना कहीँ और तलाश कर.
हर आरजू पुरी हो तो जीने का क्या मज़ा,
जीने लिए बस कमी की तलाश कर

दुनिया बदल जाये , तुम बदलना,
मुश्किलो में हो जब भी,याद हमे कर लेना.
मांगे भी आपसे तो क्या मांगे?
देना कुछ चाहो तो बस मुस्कुरा देना

इश्क के फूल भी खिलते हैं, बिखर जाते हैं
ज़ख्म कैसे भी होँ, कुछ रोज़ में भर जाते हैं
उन ख्वाबों में अब कोई नही और हम भी नही
इतने रोज़ से आये हैं, चुप चाप गुज़र जाते हैं
नर्म आवाज़, भोली बातें, मोहज्ज़ाब लहजा
पहली बारिश मॆं ही, सब रंग उतर जाते हैं
रास्ता रोके खादी है, वही उलझन कब से
कोई पूछे तो कहें क्या के किधर जाते है

आज हम उन्हें बेवफा बताकर आये हैं ,
उनके खतों को पानी मे बहाकर आये हैं ,
कोई निकल कर पढ़ ना ले उन्हें ,
इसलिये पानी मे भी आग लगाकर आये हैं...

दूर जाकर भी उनसे दूर जा ना सके,

कितना रोये किसी को बता ना सके,
गम ये नही के हम उन्हें प ना सके,
दर्द सिर्फ ये है के हम उनको भुला ना सके...

जाने कैसे ये अफसाने लगने लगे,
अपनों को हम बेगाने लगने लगे,
अब तो वो हमे याद भी नही करते,
शायद उन्हें हम पुराने लगने लगे...

कह कोई ऐसा मिला जिस पर दिल लुटा देते,
हर एक ने धोखा दिया किस किस को भुला देते,
अपने दिल का दर्द दिल ही मे दबाये रखा है,
करते बयां तो महफिल को रुला देते...


खुशी भी दोस्तो से है,
गम भी दोस्तो से है,

तकरार भी दोस्तो से है,
प्यार भी दोस्तो से है,

रुठना भी दोस्तो से है,
मनाना भी दोस्तो से है,

बात भी दोस्तो से है,
मिसाल भी दोस्तो से है,

नशा भी दोस्तो से है,
शाम भी दोस्तो से है,

जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,
जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,

मौहब्बत भी दोस्तो से है,
इनायत भी दोस्तो से है,

काम भी दोस्तो से है,
नाम भी दोस्तो से है,

ख्याल भी दोस्तो से है,
अरमान भी दोस्तो से है,

ख्वाब भी दोस्तो से है,
माहौल भी दोस्तो से है,

यादे भी दोस्तो से है,
मुलाकाते भी दोस्तो से है,

सपने भी दोस्तो से है,
अपने भी दोस्तो से है,

या यूं कहो यारो,
अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से है

ख़ूबसूरत हैं वो लब
जो प्यारी बातें करते हैं

ख़ूबसूरत है वो मुस्कराहट
जो दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कान सजा दे

ख़ूबसूरत है वो दिल
जो किसी के दर्द को समझे
जो किसी के दर्द में तड़पे

ख़ूबसूरत हैं वो जज्बात
जो किसी का एहसास करें

ख़ूबसूरत है वोह एहसास
जो किसी के दर्द में दवा बने

ख़ूबसूरत हैं वो बातें
जो किसी का दिल ना दुखें

ख़ूबसूरत हैं वो आंखें
जिन में पकेज्गी हो
शर्म हया हो

ख़ूबसूरत हैं वो आंसू
जो किसी के दर्द को महसूस करके बह जाए

ख़ूबसूरत हैं वो हाथ
जो किसी को मुश्किल वक़्त में थम लें

ख़ूबसूरत हैं वो कदम
जो किसी कि मदद के लिए
आगे बढें !!!!!

ख़ूबसूरत है वो सोच
जो किसी के लिए अच्छा सोचे

ख़ूबसूरत है वो
जिस को खुदा ने ये
खूबसूरती अदा कि.

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?

जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?



पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?



अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?

108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?



इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,

लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.



मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,

लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?



कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?

कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?



तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है

जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है



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