Saturday, September 24, 2011

जिसकी तलाश है उसको पता ही नही
हमारी चाहत को उसने समझा ही नहीं
हम पूछते रहे कि क्या तुम्हे हमसे प्यार है
वो कहते रहे कि उन्हें पता ही नहीं


मंजिलें भी उसकी थी
रास्ता भी उसका था
एक में अकेला था
काफिला भी उसका था
साथ-साथ चलने कि सोच भी उसकी थी
फिर रास्ता बदलने का फैसला भी उसका था
आज क्यों अकेला हूँ में ?
दिल सवाल करता है यह ....
लोग तो उसके थे , क्या खुदा भी उसका था !


मुद्दत हो गयी उन तनहाइयों को गुजरे , आज भी इन आँखों में वो खामोशियाँ क्यों है
चुन चुन कर जिसकी यादों को अपने जीवन से निकाला मैंने
मेरे दिल पर आज भी उसकी हुकूमत क्यों है
तोड़ दिया जिसने यकीं मोहब्बत से मेरा
वो शख्स आज भी मेरे प्यार के काबिल क्यों है
रास ना आये जिसको चाहत मेरी
आज भी वो मेरे दिन और रात में शामिल क्यों है
खत्म हो गया जो रिश्ता वो आज भी सांस ले रहा है
मेरे वर्तमान में जीवित वो आज भी मेरा अतीत क्यों है

सवाल पानी का नही , प्यास का है
सवाल मौत का नहीं , सांस का है
प्यार करने वाले बहुत है दुनिया में
मगर सवाल प्यार का नही विश्वास का है


रिश्ते तो बनते है ऊपर वाले कि दुनिया में
हम तो सिर्फ निभाना चाहते है
पता नहीं दुसरे जन्म के बारे में
पर दोस्ती अपकी हर जन्म में पाना चाहते है


वो कहते है मजबूर है हम
ना चाहते हुए भी दूर है हम
चुराली उन्होने धड़कने हमारी
फिर भी कहते है बेकसूर है हम


जिन्दगी में बहुत बार ऐसा वक़्त आएगा
जब तुमको चाहने वला ही तुम्हे सबसे ज्यादा रुलायेगा
मगर विश्वास रखना उस पे
अकेले में वो तुमसे ज़्यादा आंसू बहायेगा


कभी शिक़ायत ना लबों पे लाएंगे
कहा है दोस्त तो दोस्ती निभाएंगे
कोई बुराई तुम्हारी हमारे सामने करे
क़सम खुदा कि , उसकी हाँ में हाँ मिलाएँगे


तिनका तिनका तूफ़ान में बिखरते चले गए
तन्हाई कि गहराइयों में उतरते चले गए
उड़ते थे जिन दोस्तो के सहारे आसमानों में हम
- करके हम सब बिछड़ते चले गए


उम्मीदों कि शमा दिल में मत जलाना
इस जहाँ से अलग दुनिया मत बसाना
आज बस मूड में थे तो SMS कर दिया
पर रोज़ इंतज़ार में पलके मत बिछाना

किस कद्र खूब है सादगी आपकी
हमे आज भी याद है दिल्लगी आपकी
जब भी मिले है फुरसत के लम्हे
दिल ने महसूस की है कमी आपकी

चाँद को कभी अकेला ना पाओगे
आगोश में सितारे मिल ही जायेंगे
कभी अगर तन्हा हो तो ऑंखें बंद कर लेना
अनजाने चेहरों में इस दोस्त को ज़रुर पाओगे

इश्क है वही जो हो एक तरफा
इजहार है इश्क तो ख्वाईश बन जाती है
है अगर इश्क तो आँखों में दिखाओ
जुबां खोलने से ये नुमाइश बन जाती है

शायद फिर से वो तकदीर मिल जाए
जीवन का सबसे हसीं पल मिल जाए
चल फिर से बनाए सागर पे रेत का मकान
शायद वापिस अपना बचपन मिल जाए

वो यारो कि महफिल वो मुस्कुराते पल
दिल से जुदा है अपना बीता हुआ कल
कभी गुज़रती थी ज़िंदगी वक़्त बिताने में
आज वक़्त गुज़र जाता है , उन यादों को जुटाने में

तुम्हारी दुनिया से जाने के बाद
हम तुम्हे हर एक तारे में नज़र आया करेंगे
तुम हर पल कोई दुआ माँग लेना
और हम हर पल टूट जाया करेंगे

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